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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र का भ्रमण

गोरखपुर/ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र चौकमाफी पीपीगंज गोरखपुर का दौरा किया। यह केंद्र छावनी प्रक्षेत्र में स्थित है, जहाँ मुख्यमंत्री ने उन्नत कृषि यंत्रों का निरीक्षण किया। उन्होंने गुड़ प्रसंस्करण इकाई, आसवन इकाई और बीज विधायन संयंत्र का भी अवलोकन किया। साथ ही, केंद्र में आयोजित विभिन्न फसल प्रदर्शन तकनीकों को भी देखा, जो किसानों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो सकती हैं।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रशासनिक भवन का भी दौरा किया और वहां स्थित मूल्य संवर्धन प्रयोगशाला का निरीक्षण किया। इस प्रयोगशाला में कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन के उपायों पर चर्चा की गई, जो कृषि क्षेत्र में नवाचार और उत्पादन बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस दौरे के दौरान केंद्र के प्रभारी डॉ. एस. पी. सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख डॉ. आर. के. सिंह, डॉ. संदीप उपाध्याय, डॉ. विवेक सिंह, डॉ. श्वेता सिंह, डॉ. अवनीश सिंह, डॉ. अजीत श्रीवास्तव और आशीष सिंह के अलावा दिग्विजय नाथ इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल केशव प्रसाद त्रिपाठी और मैनेजर उमापति त्रिपाठी भी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर चौक माफी स्टेट शिव मंदिर में जाकर जल चढ़ाया और पूजा अर्चना की। उनके इस दौरे से कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यों को लेकर नई दिशा मिलने की संभावना जताई जा रही है, जिससे किसानों के लाभ के लिए कई नई योजनाओं और योजनाओं की शुरुआत हो सकती है।
इस भ्रमण से यह साफ प्रतीत होता है कि प्रदेश सरकार कृषि क्षेत्र में उन्नति और नवाचार के लिए लगातार प्रयासरत है, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह कदम किसानों की स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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शादी का झांसा देकर शारीरिक शोषण, युवती लगा रही न्याय की गुहार, पुलिस पर पक्षपात का आरोप

गोरखपुर जनपद के पीपीगंज थाना क्षेत्र की एक युवती इन दिनों न्याय की तलाश में दर-दर भटक रही है, लेकिन उसे न तो प्रेमी से इंसाफ मिल रहा है और न ही पुलिस से सहयोग। युवती ने आरोप लगाया है कि उसके प्रेमी ने शादी का झांसा देकर कई वर्षों तक शारीरिक शोषण किया और जब वह उसके घर पहुंची तो ससुराल वालों ने उसे जबरन घर से निकाल दिया।
सूत्रों के अनुसार, पीपीगंज थाना क्षेत्र के एक गांव का युवक वर्ष 2015 से ही उसी गांव की एक लड़की से प्रेम करता था। इस दौरान युवक ने शादी का वादा कर लड़की से कई बार शारीरिक संबंध बनाए। युवती के अनुसार, वह कई बार गर्भवती हुई लेकिन युवक ने उसे जबरन दवाएं खिलाकर गर्भपात करवाया।
जब युवती ने शादी के लिए दबाव बनाया तो युवक ने चिलुआताल थाना क्षेत्र के महेसरा मंदिर में उससे शादी कर ली। लेकिन यह शादी भी सिर्फ दिखावा निकली। शादी के बाद जब युवती ससुराल पहुंची तो उसकी सास और ननद ने उसे घर में घुसने नहीं दिया और उसे जबरन घर से निकाल दिया। इसके बाद युवक के घरवालों ने उसकी शादी कहीं और तय कर दी।
युवती ने मीडिया से बातचीत में पीपीगंज पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उसका कहना है कि पुलिस उसे लगातार समझौता करने का दबाव बना रही है। उसे कहा जा रहा है कि कुछ रुपये लेकर दूसरी शादी कर ले और बीते दिनों को भूल जाए। पीड़िता का आरोप है कि पुलिस ने लड़के के परिवार से पैसे लेकर निष्पक्ष कार्रवाई करने से इनकार कर दिया है।
अपनी पीड़ा बताते हुए युवती ने कहा, “अगर मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं अपनी जान दे दूंगी और इसके लिए पीपीगंज पुलिस और लड़के का परिवार जिम्मेदार होगा।” यह बयान एक गंभीर चिंता का विषय है जो न सिर्फ समाज में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाता है बल्कि पुलिस की भूमिका पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।
जब इस संबंध में कैंपियरगंज क्षेत्राधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा, “मामला मेरे संज्ञान में नहीं था। लेकिन अब मुझे जानकारी मिली है, तो मैं यह आश्वस्त करता हूं कि युवती के साथ अन्याय नहीं होगा। दोषी के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी और पीड़िता को न्याय मिलेगा।”
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पीपीगंज नगर पंचायत में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान, जिम्मेदारों पर उठे रहे सवाल

गोरखपुर जिले के नगर पंचायत पीपीगंज में एक बेहद शर्मनाक मामला सामने आया है। यहां के निर्माणाधीन नगर पंचायत कार्यालय परिसर में लगा राष्ट्रीय तिरंगा झंडा कई दिनों से फटा हुआ है, लेकिन स्थानीय प्रशासन की नजर इस पर नहीं पड़ी है। तेज हवा के चलते झंडा फट गया है, जिससे देश के सम्मान का प्रतीक तिरंगा अपमानित हो रहा है।
पीपीगंज की खबर यह भी उजागर करती है कि जहां देश में पहलगाम आतंकी हमले के बाद हर नागरिक देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत है, वहीं दूसरी ओर नगर पंचायत पीपीगंज के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से मुँह मोड़ रहे हैं। तिरंगे झंडे का अपमान भारतीय कानून के तहत राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है, फिर भी कोई कार्रवाई होती नहीं दिख रही।
स्थानीय नागरिकों में इस घटना को लेकर भारी रोष है। लोगों का कहना है कि अगर कोई आम नागरिक तिरंगे का अपमान करे, तो उस पर त्वरित कार्रवाई होती है, लेकिन यहां सरकारी लापरवाही को नजरअंदाज किया जा रहा है।
इस संबंध में जब अधिशाषी अधिकारी आञ्जनेय मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं यदि ऐसा है तो उसे तत्काल उतरवाकर रखा जाएगा और उसकी जगह पर दूसरे तिरंगे झंडे को लगाया जाएगा। अभी कुछ दिनों पूर्व में भी तिरंगा झंडा तेज हवा के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था जिसे बदलवाकर नया झंडा लगाया गया था।
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गोरखपुर में किसानों के लिए स्वरोजगार की नई राह, व्यवसायिक भेड़ बकरी पालन पर प्रशिक्षण संपन्न

गोरखपुर/ महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र, चौक माफी (पीपीगंज) में व्यावसायिक भेड़ एवं बकरी पालन पर आधारित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। यह रोजगारपरक बकरी पालन प्रशिक्षण विशेष रूप से भूमिहीन किसानों, महिलाओं और नवयुवकों के लिए लाभकारी सिद्ध हुआ, जो कम लागत में अधिक लाभ कमाने का इच्छुक हैं।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य बकरी पालन व्यवसाय को एक स्थायी और लाभदायक स्वरोजगार के रूप में स्थापित करना था। कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विवेक प्रताप सिंह ने बताया कि बकरी पालन कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाला व्यवसाय है और छोटे व सीमांत किसानों के लिए यह आजीविका का सशक्त साधन बन सकता है।
डॉ. सिंह ने बताया कि यदि सही मार्गदर्शन मिले तो कम जगह में भी व्यावसायिक बकरी पालन शुरू किया जा सकता है। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को बकरी पालन से जुड़े विभिन्न पहलुओं जैसे कि नस्ल चयन, आहार प्रबंधन, स्वास्थ्य देखभाल और बाजार की मांग के अनुरूप उत्पादन के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि बकरी की नस्लों का चयन करते समय इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि पालन का उद्देश्य दूध उत्पादन, मांस उत्पादन या दोनों है। भारत में उपयुक्त नस्लों जैसे जमुनापारी, बीटल, बारबरी, सिरोही आदि की चर्चा की गई। साथ ही, यह भी बताया गया कि नस्ल का चुनाव स्थानीय जलवायु के अनुकूल होना चाहिए।
आहार प्रबंधन पर विशेष जोर दिया गया। बकरियों के आयु वर्ग के अनुसार पोषण देना आवश्यक है। डॉ. सिंह ने बताया कि हरा चारा प्रबंधन और साइलेंज निर्माण जैसे उपायों से चारा पर होने वाले खर्च को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
बकरी पालन में जोखिम को कम करने के लिए सही प्रबंधन अनिवार्य है। इसमें नियमित टीकाकरण, साफ-सफाई, बीमारियों की पहचान और उपचार जैसी बातें शामिल हैं। बकरियों का व्यक्तिगत रिकॉर्ड रखना, जैसे आयु, वजन, टीकाकरण की तारीखें और प्रजनन की जानकारी, पालन को व्यवस्थित बनाने में सहायक होता है।
प्रशिक्षण में भाग लेने वाले प्रशिक्षणार्थियों को अनुभवी बकरी पालक गयासुद्दीन सिद्दीकी के फार्म का भ्रमण कराया गया। उन्होंने बकरी पालन के सफल प्रयोगात्मक अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे उन्होंने इस व्यवसाय से अच्छा लाभ कमाया। उन्होंने बकरी पालन की बारीकियों और व्यावहारिक चुनौतियों के बारे में भी विस्तार से बताया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार सिंह ने बकरी पालन से आय सृजन की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यदि किसान सही तरीके से पालन करें तो यह लघु उद्यम एक लाखों की आय देने वाला व्यवसाय बन सकता है।
डॉ. अजीत कुमार श्रीवास्तव (उद्यान विशेषज्ञ) ने बकरियों के स्वास्थ्य से जुड़े घरेलू उपचार और देखभाल के पारंपरिक उपाय बताए, जो विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से अपनाए जा सकते हैं।
कार्यक्रम के समापन पर कुल 40 प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम में केंद्र के डॉ. संदीप प्रकाश उपाध्याय, डॉ. अवनीश कुमार सिंह, डॉ. श्वेता सिंह, गौरव सिंह, जितेंद्र सिंह और शुभम पाण्डेय की सक्रिय भागीदारी रही।
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