Connect with us

General

महायोगी गुरु गोरक्षनाथ कृषि विज्ञान केंद्र पर “उत्तरी राज्य में उन्नत प्याज उत्पादन तकनीक और कटाई उपरांत प्रबंधन तकनीक” पर कार्यशाला का हुआ आयोजन

Published

on

गोरखपुर/ उत्तरी भारत में प्याज और लहसुन की खेती कृषि क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। इसके लिए जरूरत है किसानों जो जागरूक करने की। अगर यहाँ के किसानो को उन्नत उत्पादन तकनीकों और कटाई के बाद प्रबंधन विषय पर प्रशिक्षण देकर जागरूक किया जाए तो आने वाले समय में इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है। प्याज और लहसुन फसल की उपज बढ़ाने की दिशा में कुछ किसान लगातार प्रयास कर रहे हैं। वर्तमान में, विभिन्न राज्य सरकारें और कृषि वैज्ञानिक नई तकनीकों को बढ़ावा दे रहे हैं, ताकि प्याज और लहसुन उत्पादन में सुधार हो सके और किसान अपनी फसल से अधिक लाभ प्राप्त कर सकें।

उन्नत प्याज, लहसुन उत्पादन तकनीक

लहसुन और प्याज की खेती में उन्नत तकनीकों का उपयोग कर किसानों को बेहतर उपज प्राप्त कर सकते है। वैज्ञानिकों के अनुसार, मिट्टी की गुणवत्ता, जलवायु और सिंचाई पद्धतियाँ सभी प्याज की वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उत्तरी राज्यों में, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में किसान अब ड्रिप सिंचाई, वर्मी कंपोस्ट, और उन्नत किस्मों के बीजों का उपयोग कर रहे हैं। ये तकनीकें न केवल पानी की बचत करती हैं, बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बढ़ाती हैं।

बायोटेक्नोलॉजी का योगदान

नई बायोटेक्नोलॉजी तकनीकों के उपयोग से प्याज और लहसुन के पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि हो रही है। विभिन्न कीटनाशकों और जैविक विधियों का प्रयोग कर किसानों को कीट और रोगों से बचाव मिल रहा है, जिससे इन फसलों की पैदावार में निरंतरता बनी रहती है। इसके अतिरिक्त, प्याज की उन्नत किस्मों से पैदावार में वृद्धि हुई है, जो किसानों के लिए आर्थिक दृष्टि से लाभकारी साबित हो रही हैं।

कटाई के उपरांत प्रबंधन

प्याज और लहसुन की कटाई के बाद सही तरीके से उसका प्रबंधन करना बहुत जरूरी है। कटाई के बाद लहसुन और प्याज को अच्छी तरह से सुखाना और ठंडे स्थानों पर संरक्षित करना आवश्यक होता है, ताकि वह खराब न हो। महाराष्ट्र में अब किसान प्याज की कटाई के बाद उन्हें उचित तरीके से स्टोर करने के लिए आधुनिक गोदामों का उपयोग कर रहे हैं। इन गोदामों में तापमान और आर्द्रता को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे प्याज की गुणवत्ता लंबे समय तक बनी रहती है। इसके अलावा, प्याज को कटाई के बाद जल्दी से बाजार में भेजने के लिए ट्रांसपोर्टेशन में सुधार किया गया है, ताकि किसानों को अच्छा मूल्य मिल सके।

सरकार की पहल

किसानों को संबोधित करते हुए जिला उद्यान अधिकारी गोरखपुर ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकारें किसानों को उन्नत तकनीकियों और उपकरणों का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। किसानों को सब्सिडी के माध्यम से आधुनिक कृषि उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जो न केवल उत्पादन बढ़ाते हैं, बल्कि समय और संसाधनों की बचत भी करते हैं। सरकार द्वारा प्याज के स्टोर और प्रसंस्करण सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए भी योजनाएं बनाई गई हैं, जिससे किसानों को बाद में अपने उत्पादों को बेचने में कोई परेशानी न हो।

इस कार्यक्रम में केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं केंद्र अध्यक्ष डॉ एस के सिंह, जिला उद्यान अधिकारी गोरखपुर, NHRD के केंद्राध्यक्ष डॉ वीके सिंह, डॉ संदीप उपाध्याय, डॉ अजीत श्रीवास्तव, गृह वैज्ञानिक डॉ श्वेता सिंह सहित सैकड़ों किसान उपस्थित रहे।

Loading

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

General

पीपीगंज नगर पंचायत में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान, जिम्मेदारों पर उठे रहे सवाल

Published

on

By

गोरखपुर जिले के नगर पंचायत पीपीगंज में एक बेहद शर्मनाक मामला सामने आया है। यहां के निर्माणाधीन नगर पंचायत कार्यालय परिसर में लगा राष्ट्रीय तिरंगा झंडा कई दिनों से फटा हुआ है, लेकिन स्थानीय प्रशासन की नजर इस पर नहीं पड़ी है। तेज हवा के चलते झंडा फट गया है, जिससे देश के सम्मान का प्रतीक तिरंगा अपमानित हो रहा है।

पीपीगंज की खबर यह भी उजागर करती है कि जहां देश में पहलगाम आतंकी हमले के बाद हर नागरिक देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत है, वहीं दूसरी ओर नगर पंचायत पीपीगंज के अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से मुँह मोड़ रहे हैं। तिरंगे झंडे का अपमान भारतीय कानून के तहत राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आता है, फिर भी कोई कार्रवाई होती नहीं दिख रही।

स्थानीय नागरिकों में इस घटना को लेकर भारी रोष है। लोगों का कहना है कि अगर कोई आम नागरिक तिरंगे का अपमान करे, तो उस पर त्वरित कार्रवाई होती है, लेकिन यहां सरकारी लापरवाही को नजरअंदाज किया जा रहा है।

इस संबंध में जब अधिशाषी अधिकारी आञ्जनेय मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं यदि ऐसा है तो उसे तत्काल उतरवाकर रखा जाएगा और उसकी जगह पर दूसरे तिरंगे झंडे को लगाया जाएगा। अभी कुछ दिनों पूर्व में भी तिरंगा झंडा तेज हवा के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था जिसे बदलवाकर नया झंडा लगाया गया था।

Continue Reading

General

गोरखपुर में किसानों के लिए स्वरोजगार की नई राह, व्यवसायिक भेड़ बकरी पालन पर प्रशिक्षण संपन्न

Published

on

By

गोरखपुर/ महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र, चौक माफी (पीपीगंज) में व्यावसायिक भेड़ एवं बकरी पालन पर आधारित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। यह रोजगारपरक बकरी पालन प्रशिक्षण विशेष रूप से भूमिहीन किसानों, महिलाओं और नवयुवकों के लिए लाभकारी सिद्ध हुआ, जो कम लागत में अधिक लाभ कमाने का इच्छुक हैं।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य बकरी पालन व्यवसाय को एक स्थायी और लाभदायक स्वरोजगार के रूप में स्थापित करना था। कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विवेक प्रताप सिंह ने बताया कि बकरी पालन कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाला व्यवसाय है और छोटे व सीमांत किसानों के लिए यह आजीविका का सशक्त साधन बन सकता है।

डॉ. सिंह ने बताया कि यदि सही मार्गदर्शन मिले तो कम जगह में भी व्यावसायिक बकरी पालन शुरू किया जा सकता है। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को बकरी पालन से जुड़े विभिन्न पहलुओं जैसे कि नस्ल चयन, आहार प्रबंधन, स्वास्थ्य देखभाल और बाजार की मांग के अनुरूप उत्पादन के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि बकरी की नस्लों का चयन करते समय इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि पालन का उद्देश्य दूध उत्पादन, मांस उत्पादन या दोनों है। भारत में उपयुक्त नस्लों जैसे जमुनापारी, बीटल, बारबरी, सिरोही आदि की चर्चा की गई। साथ ही, यह भी बताया गया कि नस्ल का चुनाव स्थानीय जलवायु के अनुकूल होना चाहिए।

आहार प्रबंधन पर विशेष जोर दिया गया। बकरियों के आयु वर्ग के अनुसार पोषण देना आवश्यक है। डॉ. सिंह ने बताया कि हरा चारा प्रबंधन और साइलेंज निर्माण जैसे उपायों से चारा पर होने वाले खर्च को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

बकरी पालन में जोखिम को कम करने के लिए सही प्रबंधन अनिवार्य है। इसमें नियमित टीकाकरण, साफ-सफाई, बीमारियों की पहचान और उपचार जैसी बातें शामिल हैं। बकरियों का व्यक्तिगत रिकॉर्ड रखना, जैसे आयु, वजन, टीकाकरण की तारीखें और प्रजनन की जानकारी, पालन को व्यवस्थित बनाने में सहायक होता है।

प्रशिक्षण में भाग लेने वाले प्रशिक्षणार्थियों को अनुभवी बकरी पालक गयासुद्दीन सिद्दीकी के फार्म का भ्रमण कराया गया। उन्होंने बकरी पालन के सफल प्रयोगात्मक अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे उन्होंने इस व्यवसाय से अच्छा लाभ कमाया। उन्होंने बकरी पालन की बारीकियों और व्यावहारिक चुनौतियों के बारे में भी विस्तार से बताया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार सिंह ने बकरी पालन से आय सृजन की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यदि किसान सही तरीके से पालन करें तो यह लघु उद्यम एक लाखों की आय देने वाला व्यवसाय बन सकता है।

डॉ. अजीत कुमार श्रीवास्तव (उद्यान विशेषज्ञ) ने बकरियों के स्वास्थ्य से जुड़े घरेलू उपचार और देखभाल के पारंपरिक उपाय बताए, जो विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से अपनाए जा सकते हैं।

कार्यक्रम के समापन पर कुल 40 प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम में केंद्र के डॉ. संदीप प्रकाश उपाध्याय, डॉ. अवनीश कुमार सिंह, डॉ. श्वेता सिंह, गौरव सिंह, जितेंद्र सिंह और शुभम पाण्डेय की सक्रिय भागीदारी रही।

Continue Reading

General

अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर श्रमिकों के अधिकारों और सरकारी योजनाओं की वर्तमान स्थिति

Published

on

By

गोरखपुर / अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस हर वर्ष 1 मई को दुनिया भर में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य श्रमिकों के योगदान को सम्मान देना और उनके अधिकारों के प्रति समाज को जागरूक करना होता है। यह दिन मजदूर वर्ग के संघर्ष और उपलब्धियों का प्रतीक है। भारत में भी यह दिवस विशेष महत्व रखता है, विशेषकर ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिकों के लिए।

सरकार द्वारा चल रही प्रमुख श्रमिक योजनाएं

भारत सरकार द्वारा श्रमिकों के कल्याण हेतु अनेक श्रमिक कल्याण योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य है – श्रमिकों को स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास और रोजगार के अवसर प्रदान करना। गोरखपुर जनपद के नवगठित विकास खंड भरोहिया के खंड विकास अधिकारी अरुण कुमार ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में कई प्रभावी योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं, जिनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:

  • मातृत्व, शिशु एवं बालिका मदद योजना – इस योजना के अंतर्गत श्रमिक परिवारों की महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान सहायता प्रदान की जाती है।
  • संत रविदास शिक्षा प्रोत्साहन योजना – श्रमिकों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
  • कन्या विवाह सहायता योजना – इस योजना के माध्यम से श्रमिकों के पुत्रियों के विवाह हेतु आर्थिक सहायता प्रदान की जाती हैं।
  • अटल आवासीय विद्यालय योजना – श्रमिकों के बच्चों को मुफ्त आवासीय शिक्षा प्रदान की जाती है।
  • गंभीर बीमारी सहायता योजना – श्रमिकों को गंभीर बीमारियों के उपचार में आर्थिक सहायता दी जाती है।
  • निर्माण कामगार मृत्यु एवं दिव्यांगता सहायता योजना – निर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों की दुर्घटना या मृत्यु की स्थिति में उनके परिवार को आर्थिक सहायता दी जाती है।
  • श्रमिक पेंशन योजना – पात्र श्रमिकों को वृद्धावस्था में नियमित पेंशन प्राप्त होती है।

मनरेगा योजना और रोजगार अधिकार

खंड विकास अधिकारी ने यह भी बताया कि कोई भी वयस्क नागरिक मनरेगा जॉब कार्ड के लिए आवेदन कर सकता है। यह कार्ड उसे 100 दिन का वार्षिक रोजगार प्राप्त करने का अधिकार देता है। यह योजना ग्रामीण गरीबों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है। मनरेगा योजना के माध्यम से श्रमिकों को न केवल रोजगार मिलता है, बल्कि वे अपनी आर्थिक स्थिति भी सुधार सकते हैं।

मजदूरों में जागरूकता की कमी एक बड़ी चुनौती

हालांकि योजनाएं और कार्यक्रमों की कोई कमी नहीं है, लेकिन मजदूरों में जागरूकता की कमी एक गंभीर समस्या बनकर उभर रही है। जब मीडिया ने कुछ श्रमिकों से अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाही, तो कई मजदूरों ने यह स्वीकार किया कि वे इस दिवस के बारे में नहीं जानते। यह दिखाता है कि योजनाएं और अधिकार तभी प्रभावी होंगे जब उनका व्यापक प्रचार-प्रसार हो।

जागरूकता अभियान की आवश्यकता

सरकार को चाहिए कि वह श्रमिकों के अधिकारों और सरकारी योजनाओं के बारे में अधिक से अधिक जागरूकता अभियान चलाए, ताकि मजदूर अपने हक की जानकारी प्राप्त कर सकें और उसका लाभ उठा सकें। पंचायत स्तर से लेकर ब्लॉक और जिला स्तर तक जनजागरूकता शिविर आयोजित किए जाने चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस न केवल एक प्रतीकात्मक दिवस है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जब हमें मजदूरों के संघर्ष, उनकी समस्याओं और उनके योगदान को सम्मान देने की आवश्यकता है। जब तक प्रत्येक मजदूर को उसकी मेहनत का पूरा फल और अधिकार नहीं मिलेगा, तब तक समाज में समानता और न्याय की बात अधूरी रहेगी। सरकार, समाज और स्वयं मजदूरों को मिलकर इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है।

Continue Reading

Trending

Copyright © 2017 Zox News Theme. Theme by MVP Themes, powered by WordPress.