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पीपीगंज में बिजली विभाग का बड़ा अभियान, 139 कनेक्शन काटे गए – हुई लाखों की वसूली

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गोरखपुर जनपद के विद्युत वितरण खंड कैंपियरगंज पीपीगंज में बिजली विभाग की विजलेंस टीम ने पीपीगंज नगर पंचायत के विभिन्न वार्डों में बिजली चोरी और बिल अनियमितता के खिलाफ बृहद चेकिंग अभियान चलाया। इस दौरान 139 बिजली कनेक्शन काटे गए और लगभग 4 लाख 78 हजार रुपये की वसूली की गई। इस कार्रवाई का नेतृत्व अधिशासी अभियंता दिनेश कुमार कर रहे थे।

बिजली चोरी पर कसा शिकंजा

विजलेंस टीम ने विद्युत धारा 135 के तहत एक व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है, जबकि 24 लोगों में अनियमितता पाई गई। मौके पर 18 किलोवाट का लोड बढ़ाया गया और लगभग एक दर्जन उपभोक्ताओं को लोड वृद्धि की प्रक्रिया में शामिल किया गया।

139 उपभोक्ताओं के कनेक्शन काटे गए

अभियान के दौरान 139 बिजली उपभोक्ताओं के कनेक्शन काटे गए, जो या तो बिल बकाया रखे हुए थे या फिर अनाधिकृत रूप से बिजली का उपयोग कर रहे थे। अधिशासी अभियंता ने कहा कि यह कार्रवाई उपभोक्ताओं को बिजली चोरी से रोकने और राजस्व बढ़ाने के उद्देश्य से की गई है।

अभियान में शामिल प्रमुख अधिकारी और कर्मचारी थे:

  • अधिशासी अभियंता: दिनेश कुमार
  • एसडीओ प्रथम: सी.बी. चौरसिया
  • एसडीओ द्वितीय: अमित आनंद
  • एसडीओ तृतीय: ए.के. शुक्ला
  • अवर अभियंता: राकेश कुमार (कैंपियरगंज), लाल बिहारी (नेतवर बाजार), निकेतन गुप्ता (पीपीगंज), वीर बहादुर लाल (सोनोरा), सत्येंद्र कुमार (मछलीगांव), नंदू राम (कैंपियरगंज), राम मनोहर (सिंहोरवा), दुर्गेश यादव (भीटी)
  • कर्मचारी दल: लव कुश मिश्रा, विपिन पांडे, मनौवर अली, आफताब, अमरनाथ, अमरजीत, सूर्यजीत, रमेश यादव, अवधेश कुमार, श्रीनिवास, धर्मेंद्र सिंह, शिवम, सुनील, सुजीत, विवेक, नीलेश, ईश्वरचंद चौबे आदि।
    इसमें विजलेंस टीम की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

हॉटस्पॉट इलाकों में विशेष निगरानी

संयुक्त टीम ने हॉटस्पॉट क्षेत्रों में विशेष चेकिंग की। ये वे इलाके हैं जहां बिजली चोरी की घटनाएं बार-बार सामने आती हैं। अधिकारियों ने बताया कि भविष्य में भी इस तरह के नियमित चेकिंग अभियान चलाए जाएंगे।

बिजली विभाग की उपभोक्ताओं से अपील

अधिशासी अभियंता दिनेश कुमार ने उपभोक्ताओं से अपील की कि वे समय पर बिजली बिल का भुगतान करें और अनधिकृत रूप से बिजली उपयोग न करें। उन्होंने कहा, कि “बिजली चोरी एक गंभीर अपराध है, और विभाग इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगा।”

पीपीगंज और कैंपियरगंज क्षेत्र में बिजली विभाग की यह सघन चेकिंग कार्यवाही न केवल बिजली चोरी पर रोक लगाने में सफल रही है, बल्कि इससे सरकार के राजस्व में भी वृद्धि हुई है। विजलेंस टीम और अधिशासी अभियंता की सतर्कता से यह स्पष्ट हो गया है कि अब बिजली उपभोक्ताओं को नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा।

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पीपीगंज में 36 लाख के CCTV कैमरे छह माह से खराब, सुरक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में

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गोरखपुर जनपद के नगर पंचायत पीपीगंज में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर लापरवाही सामने आई है। लगभग एक वर्ष पूर्व नगर के प्रमुख चौराहों और तिराहों पर 36 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, जिन पर 36 लाख रुपए का खर्च आया। लेकिन बीते छह महीनों से ये सभी कैमरे खराब पड़े हैं। इसके चलते नगर में होने वाली घटनाओं की न तो निगरानी हो पा रही है और न ही अपराधियों तक पुलिस की पहुंच बन रही है।

नगर पंचायत पीपीगंज द्वारा पीपीगंज मुख्य चौराहा, दुर्गा मंदिर तिराहा, प्रभाहाल तिराहा, पशु बाजार तिराहा, थाना रोड, हरिजन बस्ती रोड, टीचर कॉलोनी, अँधरा बाबा मोड़ समेत दर्जनों जगहों पर इन कैमरों को लगाया गया था। इनकी निगरानी और डीवीआर को स्थानीय थाना परिसर से होनी थी। शुरुआत में ये कैमरे ठीक से काम कर रहे थे, लेकिन बीते छह माह से सभी कैमरे बंद पड़े हैं।

जब भी कोई घटना होती है, पुलिस को CCTV फुटेज की जरूरत होती है, जिससे अपराधियों की पहचान की जा सके। लेकिन इन कैमरों के बंद होने के कारण पुलिस को जांच में बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई मामलों में घटनाओं के सटीक प्रमाण न मिलने से जांच अधूरी रह जा रही है।

स्थानीय नागरिकों में इस लापरवाही को लेकर नाराजगी है। लोगों का कहना है कि नगर पंचायत ने जनता की सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे किए थे, लेकिन अब स्थिति पहले से भी ज्यादा खराब हो गई है। व्यापारी, स्कूल, और स्थानीय निवासी अब असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

नगर पंचायत द्वारा 36 लाख रुपए खर्च कर कैमरे तो लगाए गए लेकिन महज कुछ महीनों में ये खराब हो गए और अब आधा साल बीत चुका है। यह सवाल उठ रहा है कि क्या ये कैमरे गुणवत्ता विहीन थे? या फिर रख-रखाव की जिम्मेदारी निभाई नहीं गई?

इस विषय में जब नगर पंचायत पीपीगंज के अधिशासी अधिकारी अंजनेय मिश्रा से पूछा गया तो उन्होंने कहा, “कैमरे जिस ठेकेदार से लगवाए गए थे, उसकी वारंटी अवधि समाप्त हो चुकी है। अब नए रिपेयरिंग टेंडर के माध्यम से सभी कैमरों की मरम्मत करवाई जाएगी।”

हालांकि EO ने जल्द मरम्मत का आश्वासन दिया है, लेकिन छह महीने की देरी से जनता का भरोसा डगमगाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि CCTV जैसी महत्वपूर्ण निगरानी प्रणाली का नियमित निरीक्षण और मेंटेनेंस बेहद जरूरी होता है, जिससे सुरक्षा व्यवस्था बनी रहे।

रमेश यादव, एक व्यापारी कहते हैं, “चोरी की घटनाएं बढ़ रही हैं और कैमरे बंद हैं। पुलिस कहती है फुटेज नहीं है। फिर कैमरे लगाए ही क्यों थे?”
वही कस्बा निवासी सीमा श्रीवास्तव कहती हैं, कि “रात में सड़कों पर डर लगता है। पहले कैमरे देखकर थोड़ी राहत मिलती थी, अब सब बेकार है।”

सवाल यह भी उठता है कि जब कैमरे खराब हुए तो छह महीने तक नगर पंचायत क्या कर रही थी? क्या इसकी जानकारी पहले से नहीं थी? अगर थी, तो तत्काल मरम्मत क्यों नहीं करवाई गई? इन सवालों पर नगर पंचायत को पारदर्शिता के साथ जवाब देना होगा।

पीपीगंज नगर पंचायत में CCTV निगरानी व्यवस्था का फेल होना जनता की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। 36 लाख रुपए खर्च कर लगाए गए कैमरे छह महीने से बंद हैं, जिससे न सिर्फ पुलिस को कठिनाई हो रही है, बल्कि नागरिकों में डर और असंतोष भी बढ़ रहा है। अब जरूरत है कि नगर पंचायत बिना देर किए इन कैमरों की मरम्मत कराए और एक सुदृढ़ रख-रखाव प्रणाली विकसित करे, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही न हो।

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देवरिया में भीषण सड़क हादसा, लार थाना क्षेत्र में दो बाइक की टक्कर में दो लोग गंभीर रूप से घायल

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देवरिया जनपद के लार थाना क्षेत्र में रविवार शाम को भीषण सड़क दुर्घटना हुई, जिसमें दो मोटरसाइकिल की आमने-सामने टक्कर में दो व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा रामजानकी मार्ग पर स्थित सुखठ मोड़ के लगभग 100 मीटर पहले हुआ, जहां तेज गति से आ रही दो बाइकों की भिड़ंत हो गई।

स्थानीय लोगों द्वार घटना की जानकारी मिलते ही लार चौकी इंचार्ज दीपक सिंह और हेड कांस्टेबल महबूब खान मौके पर पहुंचे। उन्होंने स्थानीय लोगों की मदद से घायलों को तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लार पहुंचाया। डॉक्टरों द्वारा प्राथमिक उपचार के बाद दोनों घायलों की हालत गंभीर होने के कारण उन्हें जिला अस्पताल देवरिया रेफर कर दिया गया।

घायल व्यक्तियों की पहचान लार थाना क्षेत्र के रहने वाले सतेन्द्र कुशवाहा है, जो हाटा गांव के निवासी हैं। वहीं दूसरा घायल दिव्यांशु दुबे हैं, जो भरौली गांव के रहने वाले हैं। दोनों की हालत नाजुक बनी हुई है और उन्हें बेहतर इलाज के लिए रेफर किया गया है।

स्थानीय लोगों ने बताया कि यह मार्ग अत्यंत व्यस्त रहता है और इस क्षेत्र में पहले भी कई बार सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। दुर्घटना के कारणों की जांच पुलिस द्वारा की जा रही है, और ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन की भी संभावना जताई जा रही है।

इस दुर्घटना ने एक बार फिर सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक नियंत्रण की गंभीरता को उजागर कर दिया है। प्रशासन से मांग की जा रही है कि इस क्षेत्र में साइन बोर्ड, स्पीड ब्रेकर और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं, ताकि ऐसे हादसों पर अंकुश लगाया जा सके।

देवरिया सड़क हादसा की यह घटना उत्तर प्रदेश ट्रैफिक व्यवस्था की जमीनी हकीकत को दर्शाती है और लोगों के लिए यह एक चेतावनी भी है कि वाहन चलाते समय सतर्कता और नियमों का पालन अत्यंत आवश्यक है।

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पीपीगंज में खुले में मांस-मछली की बिक्री से स्वास्थ्य संकट, बर्ड फ्लू फैलने का खतरा बढ़ा

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गोरखपुर जनपद के नगर पंचायत पीपीगंज में स्वच्छता नियमों को दरकिनार करते हुए खुलेआम मांस और मछली की बिक्री की जा रही है। विशेषकर नए नगर पंचायत कार्यालय रोड और पुराने रेलवे फाटक, पुरानी गुड़ मंडी और भगवानपुर चौराहे के आसपास इन दुकानों की भरमार देखी जा सकती है। खुले में मांस-मछली बेचे जाने से इलाके में गंदगी फैली हुई है, जिससे स्थानीय लोगों को भारी परेशानी हो रही है और बर्ड फ्लू जैसी गंभीर बीमारी फैलने का खतरा भी बढ़ गया है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि मांस मछली के दुकानदार बिना किसी रोक-टोक के सड़क किनारे दुकान लगाकर कारोबार कर रहे हैं। दुकानों से निकलने वाले अवशेष और गंदा पानी सड़कों पर फैल जाता है, जिससे बदबू और गंदगी का माहौल बन गया है। इन इलाकों से गुजरने वाले लोगों को नाक पर रूमाल रखना पड़ता है।

हाल ही में प्रदेश में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद सभी चिड़ियाघरों को बंद कर दिया गया है। एक बब्बर शेर और कुछ अन्य जानवर इस वायरस की चपेट में आकर मारे जा चुके हैं। इसके बावजूद मांस-मछली की खुले में बिक्री न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह संक्रमण को और बढ़ावा देने वाला कार्य है।

नगर पंचायत द्वारा खुले में मांस मछली बेचने पर रोक है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। नगर प्रशासन की अनदेखी से दुकानदार और अधिक बेखौफ होकर नियमों को ताक पर रखकर मांस और मछली बेचने में लगे हैं। दुकानों के बाहर न तो टाट या ढकने की कोई व्यवस्था है, न ही साफ-सफाई का ध्यान रखा जाता है।

जानकारों का कहना है कि खुले में मांस मछली रखना न सिर्फ अवैध है, बल्कि यह गंभीर संक्रमण का स्रोत भी बन सकता है। खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता विभाग के नियमों के अनुसार मांस को ढककर बेचना अनिवार्य है, साथ ही उसका स्वास्थ्य परीक्षण होना चाहिए। लेकिन पीपीगंज में न तो मांस की गुणवत्ता जांची जाती है और न ही कोई लाइसेंस या निरीक्षण की प्रक्रिया अपनाई जाती है।

स्थानीय नागरिकों ने नगर प्रशासन से मांग की है कि ऐसे अवैध और अस्वच्छ दुकानों पर तत्काल रोक लगाई जाए। उनका कहना है कि खुले में जानवर काटना और बेचना पूरी तरह निषेध है। इसके बावजूद यह कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है, जो नगर प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर करता है।

सड़क किनारे गंदगी और मांस के टुकड़ों की वजह से न सिर्फ दुर्गंध फैल रही है, बल्कि कीड़े-मकौड़े और आवारा जानवर भी इन स्थानों पर जमा हो रहे हैं, जिससे संक्रमण की आशंका और बढ़ गई है। लोगों का कहना है कि अगर समय रहते इस पर रोक नहीं लगी, तो यह बर्ड फ्लू और अन्य संक्रामक बीमारियों का कारण बन सकता है।

नगर पंचायत की जिम्मेदारी है कि वह इस पर त्वरित और सख्त कार्रवाई करे। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जुर्माना और कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी अव्यवस्था दोबारा न हो।

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