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महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय और महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के बीच हुआ समझौता ज्ञापन, कृषि क्षेत्र में नई दिशा का आगाज

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गोरखपुर/ महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, गोरखपुर और महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र, गोरखपुर के बीच हाल ही में एक अहम समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता कृषि क्षेत्र में तकनीकी विकास, छात्रों की शिक्षा को सुदृढ़ करने, और कृषि अनुसंधान में नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया गया है।

समझौता ज्ञापन पर गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरेंद्र सिंह और कुलसचिव डॉ. प्रदीप राव की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. जी. एन. सिंह, पूर्व औषधि महानियंत्रक, भारत सरकार ने की। इस एमओयू पर महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर. के. सिंह और विश्वविद्यालय के कृषि संकाय के अधिष्ठाता डॉ. विमल कुमार दुबे ने हस्ताक्षर किए।

इस समझौते के तहत, दोनों संस्थाओं के बीच सहयोग से कृषि क्षेत्र में छात्रों को नई और उन्नत शिक्षा देने के साथ-साथ कृषि तकनीकी का विस्तार भी किया जाएगा। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य कृषि विज्ञान और तकनीकी को किसानों तक पहुंचाना, उन्हें उन्नत खेती की जानकारी देना और छात्रों के लिए उत्कृष्ट शोध कार्यों का अवसर प्रदान करना है।

महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय और महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र मिलकर किसानों के लिए कृषि कार्यशालाएं, प्रशिक्षण और ग्रामीण कृषि अनुभव कार्यक्रम आयोजित करेंगे। इसके अलावा, छात्रों को शोध कार्य में गहरी जानकारी दी जाएगी और उन्हें कृषि विज्ञान में उच्च स्तरीय शिक्षा प्राप्त होगी।

समझौता ज्ञापन के माध्यम से कृषि क्षेत्र में एक साझा प्लेटफार्म तैयार किया जाएगा, जो किसानों को नई तकनीकों, कृषि उपकरणों, और फसल उत्पादन के उन्नत तरीकों से परिचित कराएगा। किसानों को उन्नत तकनीकी की जानकारी और प्रशिक्षण मिलने से उनकी उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी। इसके साथ ही, यह एमओयू किसानों को फसल चक्र, मृदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के उपायों के बारे में भी जानकारी देगा।

इस कार्यक्रम में महायोगी गोरखनाथ कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ. संदीप प्रकाश उपाध्याय और फॉर्म मैनेजर आशीष कुमार सिंह भी उपस्थित रहे, जिन्होंने इस समझौते के महत्व पर प्रकाश डाला।

यह एमओयू कृषि क्षेत्र में एक नई दिशा की शुरुआत कर रहा है, जो न केवल छात्रों को उन्नत कृषि शिक्षा प्रदान करेगा, बल्कि किसानों को भी खेती की आधुनिक तकनीकों से परिचित कराएगा। इसके माध्यम से कृषि शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में एक स्थायी परिवर्तन संभव हो सकेगा।

समझौता ज्ञापन के लाभ:

  1. कृषि शिक्षा में सुधार – छात्रों को नवीनतम कृषि तकनीकी और अनुसंधान विधियों की शिक्षा प्राप्त होगी।
  2. कृषि तकनीकी का विस्तार – किसानों को नई और उन्नत कृषि तकनीकी के बारे में जानकारी प्राप्त होगी।
  3. कार्यशालाएं और प्रशिक्षण – किसानों और छात्रों को कार्यशालाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों का लाभ मिलेगा।
  4. शोध कार्य और कृषि अनुसंधान – दोनों संस्थाएं मिलकर कृषि अनुसंधान में नवाचार करेंगी, जिससे क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा।

इस समझौते से न केवल छात्रों को बेहतर शिक्षा मिलेगी, बल्कि कृषि क्षेत्र में विकास के नए रास्ते भी खुलेंगे। इससे कृषि क्षेत्र की समग्र स्थिति में सुधार होगा और किसान अपनी आय बढ़ाने में सक्षम होंगे।

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पीपीगंज रेलवे गुमटी किराया वृद्धि से व्यापारियों में उबाल, सांसद रवि किशन से हस्तक्षेप की मांग

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गोरखपुर/ पीपीगंज कस्बे में स्थित रेलवे गुमटी के किराए में हालिया वृद्धि ने व्यापारियों के बीच भारी नाराजगी और आक्रोश का माहौल पैदा कर दिया है। रेलवे प्रशासन द्वारा अचानक सर्किल रेट का 10% जोड़ने, 18% जीएसटी लागू करने और हर साल 6% की नियमित वृद्धि का निर्णय व्यापारियों पर बड़ा आर्थिक बोझ बन गया है।

इस नये नियम से न केवल किराया कई गुना बढ़ जाएगा, बल्कि छोटे और मध्यम स्तर के दुकानदारों के सामने व्यवसाय चलाने की बड़ी चुनौती भी खड़ी हो जाएंगी।

स्थानीय व्यापार मंडलों और दुकानदारों का कहना है कि महंगाई के इस दौर में जब पहले से ही लागत और खर्चे बढ़ते जा रहे हैं, रेलवे का यह कदम पूरी तरह से असंवेदनशील और अन्यायपूर्ण है।

एक दुकानदार ने बताया,

“पहले ही कई तरह के टैक्स और आर्थिक दबाव झेल रहे हैं। अब अगर दुकान का किराया इतना बढ़ा दिया जाएगा तो हम दुकान बंद करने को मजबूर हो जाएंगे।”

व्यापारियों ने इस मुद्दे को लेकर रेलवे प्रशासन से जल्द बातचीत करने की योजना बनाई है। साथ ही विरोध प्रदर्शन की भी रणनीति तैयार की जा रही है। पीपीगंज व्यापार मंडल सहित कई संगठनों ने मिलकर किराया वृद्धि को वापस लेने या इसे व्यावहारिक दर पर लाने की मांग की है।

स्थानीय नेताओं और व्यापारिक प्रतिनिधियों का कहना है कि रेलवे प्रशासन को व्यवसायिक हितों को ध्यान में रखते हुए संवेदनशील निर्णय लेना चाहिए।

इस गंभीर मुद्दे को लेकर व्यापारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सदर सांसद रवि किशन शुक्ला से मुलाकात की और उन्हें स्थिति से अवगत कराया।

सांसद ने व्यापारियों को भरोसा दिलाया कि वह इस मुद्दे को रेल मंत्रालय और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के समक्ष गंभीरता से रखेंगे। उन्होंने कहा,

“व्यापारियों के हितों की अनदेखी नहीं की जाएगी। मैं रेल मंत्रालय से बात कर समाधान निकालने का पूरा प्रयास करूंगा।”

अब तक रेलवे प्रशासन की ओर से इस पूरे मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। इससे व्यापारियों में और अधिक निराशा और गुस्सा व्याप्त है।

स्थानीय लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि बिना पूर्व सूचना और चर्चा के इस प्रकार किराया बढ़ाना अनुचित है।

इस मुद्दे पर न केवल व्यापारी बल्कि स्थानीय नागरिक भी उनके समर्थन में आ गए हैं। क्षेत्र के कई सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने भी व्यापारियों के साथ खड़े होने की बात कही है।

लोगों का कहना है कि यदि रेलवे ने जल्द कोई कदम नहीं उठाया तो बड़ा आंदोलन शुरू हो सकता है।

वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी सार्वजनिक उपयोग की संपत्ति पर अचानक बड़ा शुल्क लागू करना स्थानीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

विशेष रूप से ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में छोटे व्यापारियों के लिए ऐसी नीतियां व्यवसायिक अस्थिरता का कारण बन सकती हैं।

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विद्युत सेवा महा अभियान के तहत कैम्पियरगंज में 21 व 22 जुलाई को फिर लगेगा मेगा कैम्प

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गोरखपुर / मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री के निर्देशानुसार विद्युत उपभोक्ताओं की समस्याओं के समाधान के लिए विद्युत सेवा महा अभियान के तहत विद्युत वितरण खण्ड कैम्पियरगंज में 17 से19 जुलाई 2025 तक मेगा कैम्प का आयोजन किया गया। उपभोक्ताओं की सुविधा को देखते हुए यह विशेष शिविर अब 21 और 22 जुलाई को भी खण्ड कार्यालय कैम्पियरगंज में प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक आयोजित किया जाएगा।

इस महा अभियान का उद्देश्य उपभोक्ताओं के गलत बिजली बिलों का संशोधन, भार वृद्धि, नये संयोजन, विधा परिवर्तन तथा अन्य बिजली से जुड़ी समस्याओं का त्वरित समाधान करना है। 19 जुलाई को आयोजित शिविर में बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं ने भाग लिया और अपनी शिकायतें दर्ज कराईं।

कैम्प के तीसरे दिन, कुल 131 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें:

  • बिल संशोधन की 95 शिकायत पत्र,
  • नये विद्युत संयोजन की 8 मांगपत्र,
  • भार वृद्धि की 9 प्रार्थनापत्र
  • विधा परिवर्तन की 6 समस्याएं,
  • अन्य विद्युत संबंधित कार्यों से जुड़ी 13 शिकायतें शामिल रहीं।

विद्युत वितरण खंड कैम्पियरगंज के अधिशाषी अभियंता दिनेश कुमार ने जानकारी दी कि प्राप्त सभी शिकायतों का पंजीकरण कर लिया गया है और नियमानुसार 7 दिनों के भीतर उनका समाधान सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि अभियान का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को निर्बाध और पारदर्शी सेवा देना है।

कैम्प में उपस्थित अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने उपभोक्ताओं की समस्याओं को गंभीरता से सुना और समाधान की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी। इस पहल से स्थानीय उपभोक्ताओं को काफी राहत मिलने की उम्मीद है।

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सीएचसी कैंपियरगंज की संविदा महिला कर्मचारी पर गंभीर आरोप, निजी आवास पर कर रही गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी, वायरल वीडियो ने खोली पोल

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गोरखपुर/ उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद के सीएचसी कैंपियरगंज में तैनात एक संविदा महिला स्वास्थ्यकर्मी पर गंभीर आरोप सामने आए हैं। आरोप है कि वह अपने निजी आवास पर गर्भवती महिलाओं का इलाज और प्रसव करवा रही है। इतना ही नहीं, वह आशा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर प्रसव की व्यवस्था भी करती है, और जब मामला जटिल होता है, तो मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर करने का भी काम करती है। हाल ही में इस महिला कर्मचारी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वह एक गर्भवती महिला को डिलीवरी के लिए अपने आवास पर ले जाती हुई दिख रही है। (समर एक्सप्रेस इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।)

प्राप्त जानकारी के अनुसार, उक्त महिला कर्मचारी की नियुक्ति सीएचसी कैंपियरगंज के पीकू वार्ड में की गई है। लेकिन वह अपनी अटेंडेंस सरकारी अस्पताल में लगाकर, अधिकतर समय निजी आवास पर मरीजों को देखती है। यह आवास भी विवादों में घिरा हुआ है, क्योंकि यह आवास उसकी मां के नाम पर आरक्षित था, जो कि अब सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। इसके बावजूद यह महिला कर्मचारी अभी भी सरकारी आवास पर काबिज है और वहीं से स्वास्थ्य सेवाएं संचालित कर रही है।

इस पूरे प्रकरण ने स्वास्थ्य विभाग के नियमों और उसकी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। संविदा पर तैनात कर्मचारी द्वारा इस प्रकार से निजी प्रैक्टिस करना न सिर्फ नियमों के खिलाफ है, बल्कि इससे मरीजों की जान को भी खतरा हो सकता है। खासतौर पर जब प्रसव जैसी संवेदनशील प्रक्रिया को बिना समुचित संसाधनों और मेडिकल निगरानी के निजी जगह पर अंजाम दिया जा रहा हो।

जब इस पूरे मामले में सीएचसी कैंपियरगंज के अधीक्षक डॉ. विनोद वर्मा से जानकारी ली गई तो उन्होंने अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि “मुझे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। अगर जांच में आरोप सही पाए जाते हैं तो संबंधित के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने यह भी स्वीकारा कि यदि किसी प्रकार की अनियमितता पाई जाती है, तो स्वास्थ्य विभाग इस पर सख्त कदम उठाएगा।

वहीं अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा मरीजों को बाहर की दवा लिखने की बात भी सामने आई है। जब इस विषय में सवाल पूछा गया तो अधिकारी टालमटोल करने लगे और स्पष्ट जवाब देने से बचते नजर आए। इससे यह संकेत मिलता है कि कहीं न कहीं अस्पताल प्रशासन पारदर्शिता और जवाबदेही के मानकों पर खरा नहीं उतर रहा है।

इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं किस कदर लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। एक संविदा महिला स्वास्थ्यकर्मी द्वारा निजी आवास पर डिलीवरी कराना और सरकारी सुविधाओं का दुरुपयोग करना, स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर बड़ा प्रश्नचिन्ह है। यदि इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई नहीं की जाती, तो यह भविष्य में और गंभीर परिणाम दे सकता है।

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