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सरकारी अस्पताल में अग्निशमन यंत्र के अभाव में जान-माल का खतरा

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गोरखपुर पीपीगंज नगर पंचायत स्थित सरकारी अस्पताल में अग्निशमन यंत्र (फायर एक्सटिंग्विशर) के अभाव में गंभीर खतरा मंडरा रहा है। सूत्रों के अनुसार अस्पताल के खुलने के बाद से ही यहां एक भी अग्निशमन यंत्र नहीं लगाया गया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अगर कभी आग लगने की घटना होती है, तो अस्पताल की दवाइयां और उपकरण सब कुछ खाक हो जाएगा।स्थानीय नागरिक रोशन अली ने बताया कि हर साल मार्च-अप्रैल के महीनों में पीपीगंज नगर पंचायत और आसपास के इलाकों में आग लगने की घटनाएं आम हैं। इससे हजारों एकड़ फसल और कई घर जलकर खाक हो जाते हैं। उन्होंने चिंता जताई कि अगर इस मुद्दे पर अभी से ध्यान नहीं दिया गया, तो जान-माल का नुकसान हो सकता है।इसके अलावा, भरोहिया ब्लॉक परिसर में अग्निशमन यंत्र तो लगा है, लेकिन उसकी वैलिडिटी (मान्यता) खत्म हो चुकी है, जिससे यह बेकार हो गया है। पत्रकारों द्वारा की गई जांच में यह भी पाया गया कि कई सरकारी कार्यालयों और विद्यालयों में आग से बचने के उपकरण और उपाय नहीं हैं। कुछ जगहों पर अग्निशमन यंत्र लगे तो हैं, लेकिन उनकी वैलिडिटी समाप्त हो चुकी है, जिससे वे किसी काम के नहीं हैं।इस संबंध में किसी भी सरकारी विभाग की ओर से गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कैंपियरगंज के प्रभारी डॉ विनोद कुमार वर्मा ने बताया जांच कर अग्निशमन यंत्र की व्यवस्था कर दी जाएगी। स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि सरकार तुरंत इस मुद्दे पर ध्यान दे और अस्पताल व अन्य सरकारी भवनों में अग्निशमन यंत्र लगाए जाएं, ताकि आग की घटनाओं से होने वाले नुकसान को रोका जा सके।

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बापू चिल्ड्रेन एकेडमी में प्रबंधकीय विवाद में चौपट होता नौनिहालों का भविष्य

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गोरखपुर जनपद के पीपीगंज में बापू चिल्ड्रेन एकेडमी का विवाद गहराता जा रहा है। पिछले माह 25 अगस्त को शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा गैर मान्यता प्राप्त घोषित करके विद्यालय को अग्रिम आदेश तक के लिए सील कर दिया गया था।

वही वैदेही शरण यादव ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि बापू चिल्ड्रेन एकेडमी का संचालन वर्ष 2014 से किया जा रहा था। उस समय विद्यालय को तीन वर्ष के लिए अस्थाई मान्यता प्राप्त हुई थी। जिसे 2017 में विद्यालय को स्थाई मान्यता प्राप्त हो गई। तब से विद्यालय निर्बाध रूप से संचालित हो रहा था। और कुछ स्थानीय लोगों के द्वारा साजिश करके शिक्षा विभाग के अधिकारियों को तथ्यहीन सूचना देकर भ्रमित किया जा रहा है। जिसकी वजह से विद्यालय में पढ़ रहे छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

आगे उन्होंने बताया कि इस विद्यालय में प्रबंधकीय को लेकर विवाद चल रहा है। जिसमे पूर्व में प्रबंधक रहे कमाल जावेद को माननीय कोर्ट के आदेश पर प्रबंधक पद से हटा दिया गया और उनकी जगह पर वैदेही शरण यादव को प्रबंधक बना दिया गया है। और विद्यालय के पूर्व प्रबंधक के द्वारा अनभिज्ञता में की गई भ्रामक प्रचार है। उन्होंने विद्यालय के मान्यता न होने की झूठी कहानी कही है बल्कि विद्यालय की अस्थाई मान्यता 2017 मे स्वत: हो गई थी। वही गोरखपुर के दोनों वरिष्ठ शिक्षा अधिकारी डीआईओएस (एडी बेसिक) चार्ज और बेसिक शिक्षा अधिकारी ने मान्यता को सही पाया। और विद्यालय प्रबंधक वैदेही शरण यादव को विद्यालय संचालन की जिम्मेदारी दी। यह कहते हुए कि उक्त विद्यालय में 9,10,11 और 12 की क्लास नहीं चलनी चाहिए।

विद्यालय प्रबंधक वैदेही शरण यादव ने एक शपथ पत्र के माध्यम से अधिकारिओ को आश्वस्त किया कि विद्यालय का संचालन नर्सरी से लेकर के आठ तक ही किया जाएगा।

दूसरी सबसे अहम बात यह है कि जब विद्यालय को सील या ताला बंद करने के लिए किसी अधिकारी की लिखित व प्रमाणित हस्ताक्षरित् पत्र विद्यालय प्रबंधन और उसके सहकर्मियों को नहीं दिया गया और बदले की कार्यवाही करते हुए आनंन फानन में विद्यालय को सील कर दिया गया। जब सील की कार्रवाई ही अवैध थी तो अब उसको वैध कैसे करार दिया जाए। इस कारण से अधिकारियों के हाथ पैर फूल गए और अधिकारी राष्ट्रीय विद्यालय प्रबंधक संघ के किसी भी पदाधिकारी का जवाब नहीं दे सके। और इन सवालों से बचते रहे।

आपको बता दे कि विद्यालय संचालित कर रहे और राष्ट्रीय विद्यालय प्रबंधक संघ के लोगों ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिल कर मान्यता संबंधी कागजात को प्रस्तुत करके विद्यालय को मान्यता प्राप्त की श्रेणी में स्थापित किया है। उसके बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों की उदासीनता की वजह से अभी तक विद्यालय में शैक्षणिक कार्य शुरू नहीं हुआ।

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नवविवाहिता की संदिग्ध परिस्थिति में मौत

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गोरखपुर जनपद के पीपीगंज थाना क्षेत्र में एक नवविवाहिता की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई। जबकि लड़की के माता पिता का आरोप है कि मेरी बेटी को पीट कर हत्या की गई है। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज भेज दिया गया।

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चेयरमैन पीपीगंज पर सभासदों ने लगाए गंभीर आरोप, डीएम से की शिकायत

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नगर पंचायत पीपीगंज में भ्रष्टाचार और मनमानी का आरोप, जांच की मांग तेज

गोरखपुर जनपद की नगर पंचायत पीपीगंज में एक बार फिर राजनीति गरमा गई है। चेयरमैन लक्ष्मण विश्वकर्मा पर स्थानीय सभासदों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। सभासदों का कहना है कि चेयरमैन द्वारा नगर पंचायत में विकास कार्यों में अनियमितता, पारदर्शिता की कमी और मनमानी की जा रही है। इसी को लेकर सभी सभासदों ने एकजुट होकर जिलाधिकारी गोरखपुर को ज्ञापन सौंपा और लिखित रूप से शिकायत दर्ज कराई।

सभासदों का आरोप है कि चेयरमैन द्वारा बिना बोर्ड मीटिंग के निर्णय लिए जा रहे हैं और वित्तीय स्वीकृतियाँ नियमों के विरुद्ध दी जा रही हैं। साथ ही कई टेंडर बिना प्रक्रिया के ही पास कर दिए गए हैं, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना जताई जा रही है। शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि नगर पंचायत के कई महत्वपूर्ण विकास कार्यों में पारदर्शिता नहीं बरती गई है।

इस पूरे मामले को लेकर क्षेत्रीय नागरिकों में भी नाराजगी है और वे निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। वहीं, डीएम गोरखपुर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच कराने का आश्वासन दिया है। चेयरमैन लक्ष्मण विश्वकर्मा ने आरोपों को बेबुनियाद बताया है और कहा कि यह राजनैतिक साजिश का हिस्सा है।

यह मामला अब नगर पंचायत की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन चुका है और सभी की निगाहें प्रशासन की आगामी कार्रवाई पर टिकी हैं।

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