Connect with us

General

पीपीगंज में खुले में मांस-मछली की बिक्री से स्वास्थ्य संकट, बर्ड फ्लू फैलने का खतरा बढ़ा

Published

on

गोरखपुर जनपद के नगर पंचायत पीपीगंज में स्वच्छता नियमों को दरकिनार करते हुए खुलेआम मांस और मछली की बिक्री की जा रही है। विशेषकर नए नगर पंचायत कार्यालय रोड और पुराने रेलवे फाटक, पुरानी गुड़ मंडी और भगवानपुर चौराहे के आसपास इन दुकानों की भरमार देखी जा सकती है। खुले में मांस-मछली बेचे जाने से इलाके में गंदगी फैली हुई है, जिससे स्थानीय लोगों को भारी परेशानी हो रही है और बर्ड फ्लू जैसी गंभीर बीमारी फैलने का खतरा भी बढ़ गया है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि मांस मछली के दुकानदार बिना किसी रोक-टोक के सड़क किनारे दुकान लगाकर कारोबार कर रहे हैं। दुकानों से निकलने वाले अवशेष और गंदा पानी सड़कों पर फैल जाता है, जिससे बदबू और गंदगी का माहौल बन गया है। इन इलाकों से गुजरने वाले लोगों को नाक पर रूमाल रखना पड़ता है।

हाल ही में प्रदेश में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद सभी चिड़ियाघरों को बंद कर दिया गया है। एक बब्बर शेर और कुछ अन्य जानवर इस वायरस की चपेट में आकर मारे जा चुके हैं। इसके बावजूद मांस-मछली की खुले में बिक्री न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह संक्रमण को और बढ़ावा देने वाला कार्य है।

नगर पंचायत द्वारा खुले में मांस मछली बेचने पर रोक है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। नगर प्रशासन की अनदेखी से दुकानदार और अधिक बेखौफ होकर नियमों को ताक पर रखकर मांस और मछली बेचने में लगे हैं। दुकानों के बाहर न तो टाट या ढकने की कोई व्यवस्था है, न ही साफ-सफाई का ध्यान रखा जाता है।

जानकारों का कहना है कि खुले में मांस मछली रखना न सिर्फ अवैध है, बल्कि यह गंभीर संक्रमण का स्रोत भी बन सकता है। खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता विभाग के नियमों के अनुसार मांस को ढककर बेचना अनिवार्य है, साथ ही उसका स्वास्थ्य परीक्षण होना चाहिए। लेकिन पीपीगंज में न तो मांस की गुणवत्ता जांची जाती है और न ही कोई लाइसेंस या निरीक्षण की प्रक्रिया अपनाई जाती है।

स्थानीय नागरिकों ने नगर प्रशासन से मांग की है कि ऐसे अवैध और अस्वच्छ दुकानों पर तत्काल रोक लगाई जाए। उनका कहना है कि खुले में जानवर काटना और बेचना पूरी तरह निषेध है। इसके बावजूद यह कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है, जो नगर प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर करता है।

सड़क किनारे गंदगी और मांस के टुकड़ों की वजह से न सिर्फ दुर्गंध फैल रही है, बल्कि कीड़े-मकौड़े और आवारा जानवर भी इन स्थानों पर जमा हो रहे हैं, जिससे संक्रमण की आशंका और बढ़ गई है। लोगों का कहना है कि अगर समय रहते इस पर रोक नहीं लगी, तो यह बर्ड फ्लू और अन्य संक्रामक बीमारियों का कारण बन सकता है।

नगर पंचायत की जिम्मेदारी है कि वह इस पर त्वरित और सख्त कार्रवाई करे। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जुर्माना और कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी अव्यवस्था दोबारा न हो।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

General

पीपीगंज रेलवे गुमटी किराया वृद्धि से व्यापारियों में उबाल, सांसद रवि किशन से हस्तक्षेप की मांग

Published

on

By

गोरखपुर/ पीपीगंज कस्बे में स्थित रेलवे गुमटी के किराए में हालिया वृद्धि ने व्यापारियों के बीच भारी नाराजगी और आक्रोश का माहौल पैदा कर दिया है। रेलवे प्रशासन द्वारा अचानक सर्किल रेट का 10% जोड़ने, 18% जीएसटी लागू करने और हर साल 6% की नियमित वृद्धि का निर्णय व्यापारियों पर बड़ा आर्थिक बोझ बन गया है।

इस नये नियम से न केवल किराया कई गुना बढ़ जाएगा, बल्कि छोटे और मध्यम स्तर के दुकानदारों के सामने व्यवसाय चलाने की बड़ी चुनौती भी खड़ी हो जाएंगी।

स्थानीय व्यापार मंडलों और दुकानदारों का कहना है कि महंगाई के इस दौर में जब पहले से ही लागत और खर्चे बढ़ते जा रहे हैं, रेलवे का यह कदम पूरी तरह से असंवेदनशील और अन्यायपूर्ण है।

एक दुकानदार ने बताया,

“पहले ही कई तरह के टैक्स और आर्थिक दबाव झेल रहे हैं। अब अगर दुकान का किराया इतना बढ़ा दिया जाएगा तो हम दुकान बंद करने को मजबूर हो जाएंगे।”

व्यापारियों ने इस मुद्दे को लेकर रेलवे प्रशासन से जल्द बातचीत करने की योजना बनाई है। साथ ही विरोध प्रदर्शन की भी रणनीति तैयार की जा रही है। पीपीगंज व्यापार मंडल सहित कई संगठनों ने मिलकर किराया वृद्धि को वापस लेने या इसे व्यावहारिक दर पर लाने की मांग की है।

स्थानीय नेताओं और व्यापारिक प्रतिनिधियों का कहना है कि रेलवे प्रशासन को व्यवसायिक हितों को ध्यान में रखते हुए संवेदनशील निर्णय लेना चाहिए।

इस गंभीर मुद्दे को लेकर व्यापारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सदर सांसद रवि किशन शुक्ला से मुलाकात की और उन्हें स्थिति से अवगत कराया।

सांसद ने व्यापारियों को भरोसा दिलाया कि वह इस मुद्दे को रेल मंत्रालय और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के समक्ष गंभीरता से रखेंगे। उन्होंने कहा,

“व्यापारियों के हितों की अनदेखी नहीं की जाएगी। मैं रेल मंत्रालय से बात कर समाधान निकालने का पूरा प्रयास करूंगा।”

अब तक रेलवे प्रशासन की ओर से इस पूरे मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। इससे व्यापारियों में और अधिक निराशा और गुस्सा व्याप्त है।

स्थानीय लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि बिना पूर्व सूचना और चर्चा के इस प्रकार किराया बढ़ाना अनुचित है।

इस मुद्दे पर न केवल व्यापारी बल्कि स्थानीय नागरिक भी उनके समर्थन में आ गए हैं। क्षेत्र के कई सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने भी व्यापारियों के साथ खड़े होने की बात कही है।

लोगों का कहना है कि यदि रेलवे ने जल्द कोई कदम नहीं उठाया तो बड़ा आंदोलन शुरू हो सकता है।

वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी सार्वजनिक उपयोग की संपत्ति पर अचानक बड़ा शुल्क लागू करना स्थानीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

विशेष रूप से ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में छोटे व्यापारियों के लिए ऐसी नीतियां व्यवसायिक अस्थिरता का कारण बन सकती हैं।

Continue Reading

General

विद्युत सेवा महा अभियान के तहत कैम्पियरगंज में 21 व 22 जुलाई को फिर लगेगा मेगा कैम्प

Published

on

By

गोरखपुर / मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री के निर्देशानुसार विद्युत उपभोक्ताओं की समस्याओं के समाधान के लिए विद्युत सेवा महा अभियान के तहत विद्युत वितरण खण्ड कैम्पियरगंज में 17 से19 जुलाई 2025 तक मेगा कैम्प का आयोजन किया गया। उपभोक्ताओं की सुविधा को देखते हुए यह विशेष शिविर अब 21 और 22 जुलाई को भी खण्ड कार्यालय कैम्पियरगंज में प्रातः 10 बजे से सायं 5 बजे तक आयोजित किया जाएगा।

इस महा अभियान का उद्देश्य उपभोक्ताओं के गलत बिजली बिलों का संशोधन, भार वृद्धि, नये संयोजन, विधा परिवर्तन तथा अन्य बिजली से जुड़ी समस्याओं का त्वरित समाधान करना है। 19 जुलाई को आयोजित शिविर में बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं ने भाग लिया और अपनी शिकायतें दर्ज कराईं।

कैम्प के तीसरे दिन, कुल 131 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें:

  • बिल संशोधन की 95 शिकायत पत्र,
  • नये विद्युत संयोजन की 8 मांगपत्र,
  • भार वृद्धि की 9 प्रार्थनापत्र
  • विधा परिवर्तन की 6 समस्याएं,
  • अन्य विद्युत संबंधित कार्यों से जुड़ी 13 शिकायतें शामिल रहीं।

विद्युत वितरण खंड कैम्पियरगंज के अधिशाषी अभियंता दिनेश कुमार ने जानकारी दी कि प्राप्त सभी शिकायतों का पंजीकरण कर लिया गया है और नियमानुसार 7 दिनों के भीतर उनका समाधान सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि अभियान का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को निर्बाध और पारदर्शी सेवा देना है।

कैम्प में उपस्थित अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने उपभोक्ताओं की समस्याओं को गंभीरता से सुना और समाधान की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी। इस पहल से स्थानीय उपभोक्ताओं को काफी राहत मिलने की उम्मीद है।

Continue Reading

General

सीएचसी कैंपियरगंज की संविदा महिला कर्मचारी पर गंभीर आरोप, निजी आवास पर कर रही गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी, वायरल वीडियो ने खोली पोल

Published

on

By

गोरखपुर/ उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद के सीएचसी कैंपियरगंज में तैनात एक संविदा महिला स्वास्थ्यकर्मी पर गंभीर आरोप सामने आए हैं। आरोप है कि वह अपने निजी आवास पर गर्भवती महिलाओं का इलाज और प्रसव करवा रही है। इतना ही नहीं, वह आशा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर प्रसव की व्यवस्था भी करती है, और जब मामला जटिल होता है, तो मरीजों को निजी अस्पतालों में रेफर करने का भी काम करती है। हाल ही में इस महिला कर्मचारी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वह एक गर्भवती महिला को डिलीवरी के लिए अपने आवास पर ले जाती हुई दिख रही है। (समर एक्सप्रेस इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।)

प्राप्त जानकारी के अनुसार, उक्त महिला कर्मचारी की नियुक्ति सीएचसी कैंपियरगंज के पीकू वार्ड में की गई है। लेकिन वह अपनी अटेंडेंस सरकारी अस्पताल में लगाकर, अधिकतर समय निजी आवास पर मरीजों को देखती है। यह आवास भी विवादों में घिरा हुआ है, क्योंकि यह आवास उसकी मां के नाम पर आरक्षित था, जो कि अब सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। इसके बावजूद यह महिला कर्मचारी अभी भी सरकारी आवास पर काबिज है और वहीं से स्वास्थ्य सेवाएं संचालित कर रही है।

इस पूरे प्रकरण ने स्वास्थ्य विभाग के नियमों और उसकी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। संविदा पर तैनात कर्मचारी द्वारा इस प्रकार से निजी प्रैक्टिस करना न सिर्फ नियमों के खिलाफ है, बल्कि इससे मरीजों की जान को भी खतरा हो सकता है। खासतौर पर जब प्रसव जैसी संवेदनशील प्रक्रिया को बिना समुचित संसाधनों और मेडिकल निगरानी के निजी जगह पर अंजाम दिया जा रहा हो।

जब इस पूरे मामले में सीएचसी कैंपियरगंज के अधीक्षक डॉ. विनोद वर्मा से जानकारी ली गई तो उन्होंने अनभिज्ञता जताते हुए कहा कि “मुझे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। अगर जांच में आरोप सही पाए जाते हैं तो संबंधित के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की जाएगी।” उन्होंने यह भी स्वीकारा कि यदि किसी प्रकार की अनियमितता पाई जाती है, तो स्वास्थ्य विभाग इस पर सख्त कदम उठाएगा।

वहीं अस्पताल में डॉक्टरों द्वारा मरीजों को बाहर की दवा लिखने की बात भी सामने आई है। जब इस विषय में सवाल पूछा गया तो अधिकारी टालमटोल करने लगे और स्पष्ट जवाब देने से बचते नजर आए। इससे यह संकेत मिलता है कि कहीं न कहीं अस्पताल प्रशासन पारदर्शिता और जवाबदेही के मानकों पर खरा नहीं उतर रहा है।

इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं किस कदर लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। एक संविदा महिला स्वास्थ्यकर्मी द्वारा निजी आवास पर डिलीवरी कराना और सरकारी सुविधाओं का दुरुपयोग करना, स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर बड़ा प्रश्नचिन्ह है। यदि इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई नहीं की जाती, तो यह भविष्य में और गंभीर परिणाम दे सकता है।

Continue Reading

Trending

Copyright © 2017 Zox News Theme. Theme by MVP Themes, powered by WordPress.